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2 शमूएल 19:35 (06 49 am)
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2 शमूएल 19:35
1
तब
योआब
को
यह
समाचार
मिला,
कि
राजा
अबशालोम
के
लिये
रो
रहा
है
और
विलाप
कर
रहा
है।
2
इसलिये
उस
दिन
का
विजय
सब
लोगों
की
समझ
में
विलाप
ही
का
कारण
बन
गया;
क्योंकि
लोगों
ने
उस
दिन
सुना,
कि
राजा
अपने
बेटे
के
लिये
खेदित
है।
3
और
उस
दिन
लोग
ऐसा
मुंह
चुराकर
नगर
में
घुसे,
जैसा
लोग
युद्ध
से
भाग
आने
से
लज्जित
हो
कर
मुंह
चुराते
हैं।
4
और
राजा
मुंह
ढांपे
हुए
चिल्ला
चिल्लाकर
पुकारता
रहा,
कि
हाय
मेरे
बेटे
अबशालोम!
हाय
अबशालोम,
मेरे
बेटे,
मेरे
बेटे!
5
तब
योआब
घर
में
राजा
के
पास
जा
कर
कहने
लगा,
तेरे
कर्मचारियों
ने
आज
के
दिन
तेरा,
और
तेरे
बेटे-बेटियों
का
और
तेरी
पत्नियों
और
रखेलियों
का
प्राण
तो
बचाया
है,
परन्तु
तू
ते
आज
के
दिन
उन
सभों
का
मुंह
काला
किया
है;
6
इसलिये
कि
तू
अपने
बैरियों
से
प्रेम
और
अपने
प्रेमियों
से
बैर
रखता
है।
तू
ने
आज
यह
प्रगट
किया
कि
तुझे
हाकिमों
और
कर्मचारियों
की
कुछ
चिन्ता
नहीं;
वरन
मैं
ने
आज
जान
लिया,
कि
यदि
हम
सब
आज
मारे
जाते
और
अबशालोम
जीवित
रहता,
तो
तू
बहुत
प्रसन्न
होता।
7
इसलिये
अब
उठ
कर
बाहर
जा,
और
अपने
कर्मचारियों
को
शान्ति
दे;
तहीं
तो
मैं
यहोवा
की
शपथ
खाकर
कहता
हूँ,
कि
यदि
तू
बाहर
न
जाएगा,
तो
आज
रात
को
एक
मनुष्य
भी
तेरे
संग
न
रहेगा;
और
तेरे
बचपन
से
ले
कर
अब
तक
जितनी
विपत्तियां
तुझ
पर
पड़ी
हैं
उन
सब
से
यह
विपत्ति
बड़ी
होगी।
8
तब
राजा
उठ
कर
फाटक
में
जा
बैठा।
और
जब
सब
लोगों
को
यह
बताया
गया,
कि
राजा
फाटक
में
बैठा
है;
तब
सब
लोग
राजा
के
साम्हने
आए।
और
इस्राएली
अपने
अपने
डेरे
को
भाग
गए
थे।
9
और
इस्राएल
के
सब
गोत्रें
में
सब
लोग
आपस
में
यह
कहकर
झगड़ते
थे,
कि
राजा
ने
हमें
हमारे
शत्रुओं
के
हाथ
से
बचाया
था,
और
पलिश्तियों
के
हाथ
से
उसी
ने
हमें
छुड़ाया;
परन्तु
अब
वह
अबशालोम
के
डर
के
मारे
देश
छोड़कर
भाग
गया।
10
और
अबशालोम
जिस
को
हम
ने
अपना
राजा
होने
को
अभिषेक
किया
था,
वह
युद्ध
में
मर
गया
है।
तो
अब
तुम
क्यों
चुप
रहते?
और
राजा
को
लौटा
ले
अपने
की
चर्चा
क्यों
नहीं
करते?
11
तब
राजा
दाऊद
ने
सादोक
और
एब्यातार
याजकों
के
पास
कहला
भेजा,
कि
यहूदी
पुरनियों
से
कहो,
कि
तुम
लोग
राजा
को
भवन
पहुंचाने
के
लिये
सब
से
पीछे
क्यों
होते
हो
जब
कि
समस्त
इस्राएल
की
बातचीत
राजा
के
सुनने
में
आई
है,
कि
उसको
भवन
में
पहुंचाए?
12
तुम
लोग
तो
मेरे
भाई,
वरन
मेरी
ही
हड्डी
और
मांस
हो;
तो
तुम
राजा
को
लौटाने
में
सब
के
पीछे
क्यों
होते
हो?
13
फिर
अमासा
से
यह
कहो,
कि
क्या
तू
मेरी
हड्डी
और
मांस
नहीं
है?
और
यदि
तू
योआब
के
स्थान
पर
सदा
के
लिये
सेनापति
न
ठहरे,
तो
परमेश्वर
मुझ
से
वैसा
ही
वरन
उस
से
भी
अधिक
करे।
14
इस
प्रकार
उसने
सब
यहूदी
पुरुषों
के
मन
ऐसे
अपनी
ओर
खींच
लिया
कि
मानों
एक
ही
पुरुष
था;
और
उन्होंने
राजा
के
पास
कहला
भेजा,
कि
तू
अपने
सब
कर्मचारियों
को
संग
ले
कर
लौट
आ।
15
तब
राजा
लौटकर
यरदन
तक
आ
गया;
और
यहूदी
लोग
गिलगाल
तक
गए
कि
उस
से
मिलकर
उसे
यरदन
पार
ले
आए।
16
यहूदियों
के
संग
गेरा
का
पुत्र
बिन्यामीनी
शिमी
भी
जो
बहूरीमी
था
फुतीं
करके
राजा
दाऊद
से
भेंट
करने
को
गया;
17
उसके
संग
हज़ार
बिन्यामीनी
पुरुष
थे।
और
शाऊल
के
घराने
का
कर्मचारी
सीबा
अपने
पन्द्रह
पुत्रों
और
बीस
दासों
समेत
था,
और
वे
राजा
के
साम्हने
यरदन
के
पार
पांव
पैदल
उतर
गए।
18
और
एक
बेड़ा
राजा
के
परिवार
को
पार
ले
आने,
और
जिस
काम
में
वह
उसे
लगाने
चाहे
उसी
में
लगने
के
लिये
पार
गया।
और
जब
राजा
यरदन
पार
जाने
पर
था,
तब
गेरा
का
पुत्र
शिमी
उसके
पावों
पर
गिरके,
19
राजा
से
कहने
लगा,
मेरा
प्रभु
मेरे
दोष
का
लेखा
न
करे,
और
जिस
दिन
मेरा
प्रभु
राजा
यरूशलेम
को
छोड़
आया,
उस
दिन
तेरे
दास
ने
जो
कुटिल
काम
किया,
उसे
ऐसा
स्मरण
न
कर
कि
राजा
उसे
अपने
ध्यान
में
रखे।
20
क्योंकि
तेरा
दास
जानता
है
कि
मैं
ने
पाप
किया;
देख,
आज
अपने
प्रभु
राजा
से
भेंट
करने
के
लिये
यूसुफ
के
समस्त
घराने
में
से
मैं
ही
पहिला
आया
हूँ।
21
तब
सरूयाह
के
पुत्र
अबीशै
ने
कहा,
शिमी
ने
जो
यहोवा
के
अभिषिक्त
को
शाप
दिया
था,
इस
कारण
क्या
उसको
वध
करना
न
चाहिये?
22
दाऊद
ने
कहा,
हे
सरूयाह
के
बेटों,
मुझे
तुम
से
क्या
काम,
कि
तुम
आज
मेरे
विरोधी
ठहरे
हो?
आज
क्या
इस्राएल
में
किसी
को
प्राण
दण्ड
मिलेगा?
क्या
मैं
नहीं
जानता
कि
आज
मैं
इस्राएल
का
राजा
हुआ
हूँ?
23
फिर
राजा
ने
शिमी
से
कहा,
तुझे
प्राण
दण्ड
न
मिलेगा।
और
राजा
ने
उस
से
शपथ
भी
खाई।
24
तब
शाऊल
का
पोता
मपीबोशेत
राजा
से
भेंट
करने
को
आया;
उसने
राजा
के
चले
जाने
के
दिन
से
उसके
कुशल
क्षेम
से
फिर
आने
के
दिन
तक
न
अपने
पावों
के
नाखून
काटे,
और
न
अपनी
दाढी
बनवाई,
और
न
अपने
कपड़े
धुलवाए
थे।
25
तो
जब
यरूशलेमी
राजा
से
मिलने
को
गए,
तब
राजा
ने
उस
से
पूछा,
हे
मपीबोशेत,
तू
मेरे
संग
क्यों
नहीं
गया
था?
26
उसने
कहा,
हे
मेरे
प्रभु,
हे
राजा,
मेरे
कर्मचारी
ने
मुझे
धोखा
दिया
था;
तेरा
दास
जो
पंगु
है;
इसलिये
तेरे
दास
ने
सोचा,
कि
मैं
गदहे
पर
काठी
कसवाकर
उस
पर
चढ़
राजा
के
साथ
चला
जाऊंगा।
27
और
मेरे
कर्मचारी
ने
मेरे
प्रभु
राजा
के
साम्हने
मेरी
चुगली
खाई।
परन्तु
मेरा
प्रभु
राजा
परमेश्वर
के
दूत
के
समान
है;
और
जो
कुछ
तुझे
भाए
वही
कर।
28
मेरे
पिता
का
समस्त
घराना
तेरी
ओर
से
प्राण
दण्ड
के
योग्य
था;
परन्तु
तू
ने
अपने
दास
को
अपनी
मेज
पर
खाने
वालों
में
गिना
है।
मुझे
क्या
हक
है
कि
मैं
राजा
की
ओर
दोहाई
दूं?
29
राजा
ने
उस
से
कहा,
तू
अपनी
बात
की
चर्चा
क्यों
करता
रहता
है?
मेरी
आज्ञा
यह
है,
कि
उस
भूमि
को
तुम
और
सीबा
दोनों
आपस
में
बांट
लो।
30
मपीबोशेत
ने
राजा
से
कहा,
मेरे
प्रभु
राजा
जो
कुशल
क्षेम
से
अपने
घर
आया
है,
इसलिये
सीबा
ही
सब
कुछ
ले
ले।
31
तब
गिलादी
बर्जिल्लै
रोगलीम
से
आया,
और
राजा
के
साथ
यरदन
पार
गया,
कि
उसको
यरदन
के
पार
पहुंचाए।
32
बर्जिल्लै
तो
वृद्ध
पुरुष
था,
अर्थात
अस्सी
पर्ष
की
आयु
का
था
जब
तक
राजा
महनैम
में
रहता
था
तब
तक
वह
उसका
पालन
पोषण
करता
रहा;
क्योंकि
वह
बहुत
धनी
था।
33
तब
राजा
ने
बर्जिल्लै
से
कहा,
मेरे
संग
पार
चल,
और
मैं
तुझे
यरूशलेम
में
अपने
पास
रखकर
तेरा
पालन
पोषण
करूंगा।
34
बर्जिल्लै
ने
राजा
से
कहा,
मुझे
कितने
दिन
जीवित
रहना
है,
कि
मैं
राजा
के
संग
यरूशलेम
को
जाऊं?
35
आज
मैं
अस्सी
वर्ष
का
हूँ;
क्या
मैं
भले-बुरे
का
विवेक
कर
सकता
हूँ?
क्या
तेरा
दास
जो
कुछ
खाता
पीता
है
उसका
स्वाद
पहिचान
सकता
है?
क्या
मुझे
गवैय्यों
वा
गायिकाओं
का
शब्द
अब
सुन
पड़ता
है?
तेरा
दास
अब
अपने
प्रभु
राजा
के
लिये
क्यों
बोझ
का
कारण
हो?
36
तेरे
दास
राजा
के
संग
यरदन
पार
ही
तक
जाएगा।
राजा
इसका
ऐसा
बड़ा
बदला
मुझे
क्यों
दे?
37
अपने
दास
को
लौटने
दे,
कि
मैं
अपने
ही
नगर
में
अपने
माता
पिता
के
कब्रिस्तान
के
पास
मरूं।
परन्तु
तेरा
दास
किम्हाम
उपस्थित
है;
मेरे
प्रभु
राजा
के
संग
वह
पार
जाए;
और
जैसा
तुझे
भाए
वैसा
ही
उस
से
व्यवहार
करना।
38
राजा
ने
कहा,
हां,
किम्हान
मेरे
संग
पार
चलेगा,
और
जैसा
तुझे
भाए
वैसा
ही
मैं
उस
से
व्यवहार
करूंगा
वरन
जो
कुछ
तू
मुझ
से
चाहेगा
वह
मैं
तेरे
लिये
करूंगा।
39
तब
सब
लोग
यरदन
पार
गए,
और
राजा
भी
पार
हुआ;
तब
राजा
ने
बर्जिल्लै
को
चूमकर
आशीर्वाद
दिया,
और
वह
अपने
स्थान
को
लौट
गया।
40
तब
राजा
गिल्गाल
की
ओर
पार
गया,
और
उसके
संग
किम्हाम
पार
हुआ;
और
सब
सहूदी
लोगों
ने
और
आधे
इस्राएली
लोगों
ने
राजा
को
पार
पहुंचाया।
41
तब
सब
इस्राएली
पुरुष
राजा
के
पास
आए,
और
राजा
से
कहने
लगे,
क्या
कारण
है
कि
हमारे
यहूदी
भाई
तुझे
चोरी
से
ले
आए,
और
परिवार
समेत
राजा
को
और
उसके
सब
जनों
को
भी
यरदन
पार
ले
आए
हैं?
42
सब
यहूदी
पुरुषों
ने
इस्राएली
पुरुषों
को
उत्तर
दिया,
कि
कारण
यह
है
कि
राजा
हमारे
गोत्र
का
है।
तो
तुम
लोग
इस
बात
से
क्यों
रूठ
गए
हो?
क्या
हम
ने
राजा
का
दिया
हुआ
कुछ
खाया
है?
वा
उसने
हमें
कुछ
दान
दिया
है?
43
इस्राएली
पुरुषों
ने
यहूदी
पुरुषों
को
उत्तर
दिया,
राजा
में
दस
अंश
हमारे
हैं;
और
दाऊद
में
हमारा
भाग
तुम्हारे
भाग
से
बड़ा
है।
तो
फिर
तुम
ने
हमें
क्योंतुच्छ
जाना?
क्या
अपने
राजा
के
लौटा
ले
आने
की
चर्चा
पहिले
हम
ही
ने
न
की
थी?
और
यहूदी
पुरुषों
ने
इस्राएली
पुरुषों
से
अधिक
कड़ी
बातें
कहीं।
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